नदियां मिल जाती हैं
मगर किनारे
सदैव बिछड़े,
उनसे ही जिन्हे प्रेम किया।
सागर का खारा पानी
मृदुल करती हैं नदियां
जिन्हें समेटते हैं किनारे
प्रारंभ से!
जो जुड़े हुए हैं
किंतु अलग थलग पड़े
कटिबंधित हैं
प्रारब्ध से,
नदियों का प्रेम
किनारों को नहीं मिला
और सागर को नहीं मिले किनारे
जीवन–मेरू सूखती नदियां
किनारों के बिना
समा नहीं नहीं सकती
अपार मृदुलता
जो समेटती हैं,
सागर का खारापन
किनारे भी प्रेम से अछूते रहे
प्रेम के लिए ही!!
#MJ